Friday, 17 July 2015

चौपाई लिखने की कला-ओशो

osho in hindi

शास्‍त्र कहते हैं स्‍त्री नरक का द्वार है।
आप क्या कहते हैं?
एक छोटी सी कहानी कहता हूं।

ढब्यू जी की पत्नी धन्नो एक दिन उदास स्वर में अपनी सहेली गुलाबो से कह रही थी, बहन मैं तो परेशान हो गई हूं अपने पति से, वे मुझे हमेशा ही रामायण की यह चौपाई कि—
ढोल गंवार शूद्र पशु नारी, ये सब ताड्न के अधिकारी।
कह—कह कर प्रताड़ित करते रहते हैं। मैं तो तंग आ गई यह सुन—सुन कर।
गुलाबो बोली. अरे, इसमें इतना परेशान होने की क्या बात है! मैंने कुछ ही दिन पहले एक नई चौपाई बनाई है, तू इसे गाया कर—
ढोल गंवार पुरुष और घोड़ा, जितना पीटो उतना थोड़ा।
इसमें क्या चिंता लेनी है! स्त्रियों को अपनी चौपाइयां बना लेनी चाहिए। अपने शास्त्र बनाओ। शास्त्रों पर किसी की बपौती है? किसी का ठेका है? चौपाई लिखने की कला कोई बाबा तुलसीदास पर खत्म हो गई है? याद कर लो इस चौपाई को—
ढोल गंवार पुरुष और घोड़ा, जितना पीटो उतना थोड़ा।

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