osho in hindi
मैं भी तुमसे कुछ छोड़ने को कहता हूं। संसार छोड़ने को नहीं कहता, स्वप्न छोड़ने को कहता हूं। मैं भी तुमसे कुछ छोड़ने को कहता हूं। पत्नी, बच्चे, परिवार छोड़ने को नहीं कहता। यह मन के पास, मन के दर्पण के पास जो गर्द — गुबार जम गई है, जो स्वभावत : जम जाती है…। यात्रा कर रहे हैं हम जन्मों — जन्मों से, सदियों — सदियों से। यात्रा में यात्री के कपड़ों पर धूल जम ही जाएगी। यह स्वाभाविक है। इस धूल — धवांस को झाड़ दो। और तुम पाओगे, तुम्हारे भीतर छिपा है कोहिनूर। तुम्हारे भीतर मालिक छिपा है। जिसको तुम खोज रहे हो, तुम्हारे भीतर छिपा है। खोजनेवाले में छिपा है। और तुम भागे चले जाते हो। और तुमने कभी आख खोलकर अपने भीतर जरा भी टटोला नहीं।
इसके पहले कि तुम जगत् में खोजने निकलो, एक बार अपने भीतर तो झांक कर देख लो। धर्म उस झांकने की कला का नाम है। इसलिए धर्म का प्रारंभ श्रद्धा से होता है, और अंत भी श्रद्धा पर।
श्रद्धा का क्या अर्थ है? श्रद्धा का अर्थ है : जो दिखाई नहीं पड़ता, उसकी खोज की हिम्मत। श्रद्धा का अर्थ है : बीज को बोने की हिम्मत। बीज में अभी फूल तो दिखाई पड़ते नहीं। श्रद्धा का अर्थ है : भरोसा, कि बीज टूटेगा, कि बीज कंकड़ नहीं है। मगर ऐसे तो बीज और कंकड़ में क्या फर्क दिखाई पड़ता है? फर्क तो भविष्य में तय होगा। भविष्य अभी आया नहीं है।
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