osho in hindi
यह बहुत मजे की बात है न केवल विचार की, बल्कि एक—एक शब्द की भी अपनी वेवलेंथ है, अपनी तरंग है। अगर आप एक कांच के ऊपर रेत के कण बिछा दें, और कांच के नीचे से जोर से एक शब्द आवाज करें, जोर से कहें— ओम्! तो उस कांच के ऊपर रेत पर अलग तरह की वेल्स बन जाएंगी। और आप कहें—राम! तो अलग तरह की वेब्स बनेंगी। और आप एक भद्दी गाली दें तो अलग तरह की वेक बनेंगी।
और आप एक बड़ी हैरानी की बात में पड़ जाएंगे कि जितना भद्दा शब्द होगा, उतनी कुरूप ऊपर वेब्स बनेंगी; और जितना सुंदर शब्द होगा, उतनी सुंदर वेब्स होंगी, उतना पैटर्न होगा उनमें; जितना भद्दा शब्द होगा, उतना पैटर्न नहीं होगा, अनार्किक होगा। शब्द का भी.. .इसलिए बहुत हजारों वर्ष तक शब्द के लिए बड़ी खोजबीन हुई कि कौन सा शब्द सुंदर तरंगें पैदा करता है, कौन सा शब्द कितना वजन रखता है दूसरे के हृदय तक चोट पहुंचाने में।
लेकिन शब्द तो प्रकट हो गया विचार है, अप्रकट शब्द भी अपनी ध्वनियां रखता है—जिसको हम विचार कहते हैं, थॉट कहते हैं। जब आप सोच रहे हैं कुछ, तब भी आपके चारों तरफ विशेष प्रकार की ध्वनियां फैलनी शुरू हो जाती हैं, विशेष प्रकार की तरंगें आपको घेर लेती हैं।
इसलिए बहुत बार आपको ऐसा लगता है कि किसी आदमी के पास जाकर आप अचानक उदास हो जाते हैं। अभी उसने कुछ कहा भी नहीं; हो सकता है वह ऐसे हंस ही रहा हो आपको मिलकर; लेकिन फिर भी कोई उदासी आपको भीतर से पकड़ लेती है। किसी आदमी के पास जाकर आप बहुत प्रफुल्लित हो जाते हैं। किसी कमरे में प्रवेश करते से ही आपको लगता है कि आप कुछ भीतर बदल गए; कुछ पवित्रता पकड़ लेती है, अपवित्रता पकड़ लेती है। किसी क्षण में कहीं कोई शांति पकड़ लेती है और कहीं कोई अशांति छू लेती है, जिसको आपको समझना मुश्किल हो जाता है कि मैं तो अभी अशांत नहीं था, अचानक यह अशांति मन में क्यों उठ आई!
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