Tuesday, 21 July 2015

ईश्वर की तलाश अध्यात्म नही है -ओशो

osho in hindi


पुराने योग -सूत्रों ने ईश्वर की चर्चा ही नही की , बात ही नहीउठाई ; कोई जरूरत न थी | 
बाद में योग-सूत्रों ने ईश्वर की चर्चा भी की तो उसको भी एक अध्यात्म की खोज का साधन कहा , साध्य नही | 
उसे भी कहा कि यह साधना में सहयोगी होता है इसलिए ईश्वर को मान लेना अच्छा है |
साधना में सहयोगी होता है , अध्यात्म की खोज में , इसलिए मान लेना अच्छा है | 
एक उपकरण है , ईश्वर भी एक विधि है , बस | 
इसलिए बुद्ध ने इनकार कर दिया , 
महावीर ने ईश्वर को इनकार कर दिया | 
उन्होंने दुसरी विधियां खोज ली | 
उन्होंने कहा , इस विधि की कोई भी जरूरत नही है | अगर विधि ही है ईश्वर , तो फिर दुसरी विधियों से भी काम चल सकता है |
लेकिन बुद्ध और महावीर भी साक्षी को इनकार नही कर सकते ; ईश्वर को इनकार कर सकते है | 
सब कुछ इनकार किया जा सकता है , लेकिन अध्यात्म की आत्यंतिक आधारशिला है वह साक्षी है , उसे इनकार नही किया जा सकता |
अगर किसी दिन दुनिया में धर्म का विज्ञानं निर्मित होगा तो उसमे ईश्वर , आत्मा , ब्रहम , इन सबकी चर्चा नही होगी , क्योकि ये सब स्थानीय बाते है , कोई धर्म मानता है , कोई नही मानता , 
लेकिन साक्षी की चर्चा जरुर होगी , क्योकि साक्षी स्थानीय घटना नही है | 
धर्म ही नही हो सकता बिना साक्षी के | 
तो साक्षी भर एक वैज्ञानिक आधारशिला है समस्त धर्म-अनुभव की ,समस्त धर्म की खोज और यात्रा की | 
और इस साक्षी पर ही सारे उपनिषद घूमते है ,इर्द-गिर्द | 
सारे सिदधांत और सारे इशारे इस साक्षी को दिखाने के लिए है

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