Thursday, 23 July 2015

बुद्धत्व प्राप्ति के पूर्व बुद्ध के पांच शिष्य थे-ओशो

osho in hindi

बुद्धत्व प्राप्ति के पूर्व बुद्ध के पांच शिष्य थे। वे सभी तपस्वी थे। तब बुद्ध स्वयं एक बड़े तपस्वी थे। उन्हें अपने शरीर को सताने में बड़ा रस आता था। वे नएनए ढंगों से, अनेक ढंगों से अपने को सताते थे। एक तरह से वे आत्मपीड़क थे। और उस समय ये पांचों उनके निष्ठावान शिष्य थे।
और फिर बुद्ध को बोध हुआ कि तपस्या बिलकुल व्यर्थ है, अपने को सताकर कोई बुद्धत्व को नहीं प्राप्त हो सकता है। जब उन्हें यह बोध हुआ तो उन्होंने तपस्या का मार्ग छोड़ दिया। फलत: उनके पांचों शिष्य तुरंत उन्हें छोड्कर अलग हो गए। उन्होंने कहा कि तुम अब तपस्वी न रहे, तुम्हारा पतन हो गया है। और वे सभी कहीं और चले गए।
फिर जब बुद्ध बुद्धत्व को उपलब्ध हुए तो सबसे पहले उन्हें अपने इन पांचों शिष्यों का स्मरण आया। कभी वे उनके अनुयायी थे, इसलिए उन्हें पहले उनकी खोज करनी चाहिए। बुद्ध को लगा कि मेरा उनके प्रति एक कर्तव्य है। पहले उन्हें खोजकर वह बताना है जो मुझे मिला है।
तो बुद्ध उन्हें ढूंढने के लिए बोधगया से वाराणसी गए। वे लोग उन्हें सारनाथ में मिले। कथा कहती है कि बुद्ध दूसरी बार लौटकर वाराणसी कभी नहीं गए, सारनाथ कभी नहीं गए। वे सिर्फ इन शिष्यों के लिए आए थे।
जब बुद्ध सारनाथ पहुंचे तो संध्या का समय था। बुद्ध के पांचों शिष्य एक पहाड़ी पर बैठे थे। जब उन्होंने बुद्ध को अपनी ओर आते देखा तो उन्होंने कहा कि यह वही गौतम सिद्धार्थ है जो मार्ग छोड्कर पतित हो गया है; ‘हम उसे कोई आदर नहीं देंगे, हम उसके साथ मामूली शिष्टाचार भी नहीं निभाएंगे। और ऐसा कहकर पांचों ने आंखें बंद कर लीं।
लेकिन जैसेजैसे बुद्ध उनके निकट पहुंचे, अनदेखे ही उन पांचों के मन बदलने लगे। वे बेचैन हो उठे। और जब बुद्ध बिलकुल उनके पास आ गए तो अचानक उन पांचों की आंखें खुल गईं और वे सीधे बुद्ध के चरणों पर गिर पड़े। बुद्ध ने पूछा कि तुम लोग ऐसा क्यों करते हो? तुमने तो यह तय किया था कि तुम मुझे सम्मान नहीं दोगे। फिर यह क्या?
उन्होंने कहा कि हम कुछ कर नहीं रहे हैं, सब अपने आप हो रहा है। आपको कुछ मिला है, आप एक चुंबकीय शक्ति बन गए हैं और हम आपकी तरफ खिंचे जा रहे हैं। क्या आप हम पर सम्मोहन कर रहे हैं? बुद्ध ने कहा, नहीं, मैं कुछ नहीं कर रहा हूं। लेकिन मुझे कुछ हुआ, कुछ मिला। मेरी समस्त ऊर्जा अपने स्रोत से जा मिली है। इसलिए मैं जहां जाता हूं वहा एक चुंबकीय शक्ति अनुभव होती है।
इसी कारण से सदियों से बुद्ध या महावीर के विरोधी कहते आए हैं कि वे लोग अच्छे नहीं थे, वे लोगों को सम्मोहित कर लेते थे। असल में कोई सम्मोहित नहीं करता है, यह दूसरी बात है कि लोग सम्‍मोहित हो जाते है। जब ऊर्जा मूल स्‍त्रोत से मिलती है तो वह एक चुंबकीय केंद्र पैदा करती है। यह विधि तुम्हारे भीतर वही चुंबकीय केंद्र पैदा करने की विधि है।


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