Tuesday, 28 July 2015

स्वाभाव -ओशो

osho in hindi
एक एस्कीमो साइबेरिया का पहली दफा इंग्लैंड आया। तो वह बहुत हैरान हुआ। और सबसे बड़ी हैरानी उसे यह हुई कि लोग घड़ी देखकर कैसे सो जाते हैं! और लोग घड़ी देखकर खाना कैसे खा लेते हैं! और जिस घर में वह मेहमान था वह इतना परेशान हुआ कि सारे लोग एक साथ खाना कैसे खा लेते हैं घर भर के!
क्योंकि उसने कहा यह हो ही नहीं सकता कि सबको एक साथ भूख लगती हो। क्योंकि हमें तो...जब हमारे यहां जिसको भूख लगती है वह खाता है। किसी को
कभी लगती है, किसी को कभी लगती है, किसी को कभी लगती है।
यह बड़ा मिरेकल है कि घर भर के लोग एक साथ टेबल पर बैठकर खाना खाते हैं! क्योंकि सबको एक साथ भूख लगना बड़ी असंभव घटना है।
और लोग कहते हैं कि बारह बज
गए और सो जाते हैं। उसने कहा कि...उसकी यह बिलकुल समझ के बाहर पड़ा उसे।
स्वाभाविक, क्योंकि साइबेरिया से आनेवाला आदमी अभी भी ताओ के ज्यादा करीब है। अभी भी जब भूख लगती है तब खाता है, जब नहीं लगती तो नहीं खाता है।
जब नींद आती है तो सोता है, जब नींद टूटती है तो उठता है।
ब्रह्ममुहूर्त में उठना चाहिए, ऐसा ताओ नहीं कहेगा।
ताओ कहेगा कि जब तुम उठ जाते हो वही ब्रह्ममुहूर्त है।
ऐसा नहीं कहेगा ताओ...। वह फकीर ठीक कह रहा है कि जो होता है हम वह होने देते हैं। हम कुछ भी नहीं करते, जो होता है हम होने देते हैं।
तो मनुष्य एकबारगी फिर से अगर प्रकृति की तरह जीने लगे तो ताओ को उपलब्ध होता है। जब उसे जो होता है होने देता है। और यह बहुत गहरे तल तक! यह खाने और पीने की बात ही नहीं है।
अगर उसे क्रोध आता है तो वह क्रोध को भी आने देता है। अगर उसे काम उठता है तो वह काम को भी उठने देता है। क्योंकि वह कहता है, मैं कौन हूं जो बीच में आऊं?
असल में जो होता है, ताओ कहता है, उसे होने देना है। तुम कौन हो जो तुम बीच में आते हो? हर चीज पर तुम कौन हो जो बीच में आते हो?

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