osho in hindi
प्रभु स्व के विस्मरण
से नहीं , स्व
के विसर्जन से उपलब्ध होता है | एक
मंदिर पड़ोस में है |
रात्री
वहां रोज ही भजन - कीर्तन होने लगता है |
धुप
की तीव्र गंध उसके बंद प्रकोष्ट में भर जाती है |
फिर आरती - वंदन होता है | वाद्ध बजते हैं | घंटो का निनाद होता है |
और ढोल भी बजते हैं | फिर पुजारी नृत्य करता
है | और
क्रमशः भक्तगण भी नाचने लगते हैं |
यह देखने एक दिन मंदिर के भीतर गया था | जो देखा वह पूजा नहीं , मूर्च्छा थी |
वह प्रार्थना के नाम पर आत्म - विस्मरण था | अपने को भूलना दुःख -
विस्मरण देता है | जो
नशा करता है , वही
कम धर्म के ऐसे रूप भी कर देते हैं |
जीवन - संताप को कौन नहीं भूलना चाहता है ?
मादक
द्रव्य इसीलिए खोजे जाते हैं | मादक क्रिया - कांड भी
इसीलिए खोजे जाते हैं |
मनुष्य
ने बहुत तरह की शराबें बनाई हैं |
और
सबसे खतरनाक शराबें वे हैं , जो कि बोतलों में बंद
नहीं होती हैं |
दुख
- विस्मरण से दुख मिटता नहीं है | उसके बीज ऐसे नष्ट नहीं
होते ,
विपरीत
, उसकी
जड़ें और मजबूत होती जाती हैं |
दुख
को भूलना नहीं , मिटाना
होता है |
उसे
भूलना धर्म नहीं , वंचना
है |
दुख - विस्मरण का उपाय जैसे स्व - विस्मरण है ,
वैसे
ही दुख - विनाश का उपाय स्व - स्मरण है |
धर्म वह है , जो स्व को परिपूर्ण
जाग्रत करता है |
धर्म
के शेष सब रूप मिथ्या हैं |
स्व
- स्मृति पथ है , स्व
- विस्मृति विपथ है |
और
यह भी स्मरण रहे कि स्व - विस्मृति से स्व मिटता नहीं है |
उसकी
प्रच्छन्न धारा प्रवाहित ही रहती है |
स्व
- स्मृति से ही स्व विसर्जित होता है |
जो स्व को परिपूर्ण जनता है , वह स्व के विसर्जन को
उपलब्द हो , सर्व
को पा लेता है | स्व
के विस्मरण से नहीं , स्व
के विसर्जन से सर्व की राह है |
प्रभु के स्मरण से स्व को भुलाना भूल है |
स्व
के बोध से स्व को मिटना मार्ग है |
और
जब स्व नहीं रह जाता है , तब
जो शेष रह जाता है , वही
प्रभु है |
प्रभु स्व के विस्मरण से नहीं , स्व के विसर्जन से
उपलब्ध होता है|
No comments:
Post a Comment