osho in hindi
भय हमेशा किसी इच्छा के आसपास पनपता है। तुम प्रसिद्ध होना चाहते हो, संसार के सबसे प्रसिद्ध व्यक्ति होना चाहते हो- फिर भय शुरू होता है। अगर ऐसा न हो सका तो क्या होगा? भय लगता है। भय उस इच्छा का बाइ-प्रोडक्ट है।
तुम संसार के सबसे धनवान व्यक्ति बनना चाहते हो- सफलता न मिली तो क्या होगा? सो भीतर से तुम कँपने लगते हो, भय शुरू हो जाता है। तुम्हारी किसी स्त्री पर मालकियत है; तुम भयभीत होते हो कि हो सकता है कल तुम्हारी उस पर मालकियत न रहे, वह किसी और के पास चली जाए। अगर वह जीवित है तो वह जा सकती है, सिर्फ मुर्दा स्त्रियाँ कहीं नहीं जातीं। केवल एक लाश पर ही मालकियत की जा सकती है- उसके साथ कोई भय नहीं है। वह हमेशा तुम्हारे पास रहेगी।
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