Wednesday, 7 October 2015

स्त्रियों की सहनशक्ति पुरुषों से कई गुनी ज्यादा है-ओशो

स्त्रियों की सहनशक्ति पुरुषों से कई गुनी ज्यादा है। पुरुष की सहनशक्ति न के बराबर है। लेकिन पुरुष एक ही शक्ति का हिसाब लगाता रहता है, वह है मसल्स की। क्योंकि वह बड़ा पत्थर उठा लेता है, इसलिए वह सोचता रहा है कि मैं शक्तिशाली हूं। लेकिन बड़ा पत्थर अकेला आयाम अगर शक्ति का होता तो ठी‍क है, सहनशीलता भी बड़ी शक्ति है- जीवन के दुखों को झेल जाना।

स्त्रियां देर तक जवान रहती हैं, अगर उन्हें दस-पंद्रह बच्चे पैदा न करना पड़ें। तो पुरुष जल्दी बूढ़े हो जाते हैं: स्त्रियां देर तक युवा और ताजी रहती हैं। 

अशरीरी जगत की संभावना



इसकी बहुत संभावना है। इसमें बहुत सच्चाइयां हैं।असल में ऐसी आत्माएं हैं, शरीर से हट गई हैं लेकिन जिनकी अनुकंपा इस जगत से नहीं हट गई है। ऐसी आत्माएं हैं, जो अपने अशरीरी जगत से भी इस जगत के लिए निरंतर संदेश भेजने की कोशिश करती हैं। और कभी अगर उन्हें “मीडियम’ उपलब्ध हो जाए, कोई माध्यम उपलब्ध हो जाए, तो उसका उपयोग करती हैं।
ऐसा कोई बेली के साथ पहली दफा हुआ हो, ऐसा नहीं है। ए.पी.सिनेट ने भी ठीक वैसे ही माध्यम का काम इसके पहले किया था। उसके पहले लीडबीटर ने भी, कर्नल अल्काट ने भी, एनीबेसेंट ने भी, ब्लावट्स्की ने भी, इन सबने भी इस तरह के माध्यम के काम किए थे। इसका एक लंबा इतिहास है। ऐसी आत्माओं से संबंधित होकर, जो आत्मिक विकास के दौर में हमसे आगे की सीढ़ियों पर हैं, बहुत कुछ जाना जा सकता है और बहुत कुछ संदेशित किया जा सकता है, “कम्यूनिकेट’ किया जा सकता है।

Wednesday, 19 August 2015

एक आग का नाम है ओशो

osho in hindi


ओशो को हम क्या कहें धर्मगुरु, संत, अचार्य, अवतारी, भगवान, मसीहा, प्रवचनकार, धर्मविरोधी या फिर सेक्स गुरु। जो ओशो को नहीं जानते हैं और या जो ओशो को थोड़ा बहुत ही जानते हैं उनके लिए ओशो उपरोक्त में से कुछ भी हो सकते हैं।

लेकिन, जो पूरी तरह से जानते हैं, वे जानते हैं कि ओशो हैं 'न्यू मेन' अर्थात एक ऐसा आदमी जिसके लिए स्वर्ग, नरक, आत्मा, परमात्मा, समाज, राष्ट्र और वह सभी अव्याकृत प्रश्न तीसरे दर्जे के हैं, जिसके पीछे दुनिया में पागलपन की हद हो चली है।

नीत्से ने

सेक्स का दमन ना करें-ओशो

osho in hindi


हमने सेक्स को सिवाय गाली के आज तक दूसरा कोई सम्मान नहीं दिया। हम तो बात करने में भयभीत होते हैं। हमने तो सेक्स को इस भांति छिपा कर रख दिया है जैसे वह है ही नहीं, जैसे उसका जीवन में कोई स्थान नहीं है। जब कि सच्चाई यह है कि उससे ज्यादा महत्वपूर्ण मनुष्य के जीवन में और कुछ भी नहीं है। लेकिन उसको छिपाया है, उसको दबाया है। दबाने और छिपाने से मनुष्य सेक्स से मुक्त नहीं हो गया, बल्कि मनुष्य और भी बुरी तरह से सेक्स से ग्रसित हो गया। दमन उलटे परिणाम लाया है...।'

सेक्स को समझों :

Sunday, 16 August 2015

मैं जीवन के रहस्य कैसे सीखूँ?-ओशो


जीवन बंद मुट्ठी नहीं खुला हाथ 

जीवन में कोई रहस्य है ही नहीं। या तुम कह सकते हो कि जीवन खुला रहस्य है। सब कुछ उपलब्ध है, कुछ भी छिपा नहीं है। तुम्हारे पास देखने की आँख भर होनी चाहिए।
यह ऐसा ही है जैसी कि अंधा आदमी पूछे कि 'मैं प्रकाश के रहस्य जानना चाहता हूँ।'

उसे इतना ही चाहिए कि वह अपनी आँखों का इलाज करवाए ताकि वह प्रकाश देख सके। प्रकाश उपलब्ध है, यह रहस्य नहीं है। लेकिन वह अंधा है- उसके लिए कोई प्रकाश नहीं है।
प्रकाश के बारे में क्या कहें? उसके लिए तो अँधेरा भी नहीं है- क्योंकि अँधेरे को देखने के लिए भी आँखों की जरूरत होती है।